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Showing posts from July, 2022

How many shlokas are there in Mahabharat in total?Has Mahabharata been adulterated? महाभारत में कुल कितने श्लोक हैं?क्या महाभारत में मिलावट की गई है? #mahabharatshloks #महाभारतश्लोकाः

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  पहले हम प्रमाण सहित सिद्ध करेंगे की कुल कितने श्लोक हैं, तत्पश्चात् आक्षेपाें का निराकरण करेंगे। उत्तर :- महाभारत में कुल 1,00,000+ (एक लाख से अधिक श्लोक हैं)   अब प्रमाणों पर चर्चा की जाए। विस्तरं कुरुवंशस्य गान्धार्या धर्मशीलताम् ⁠।⁠।⁠ ९९ ⁠।⁠। क्षत्तुः प्रज्ञां धृतिं कृन्त्याः सम्यग् द्वैपायनोऽब्रवीत् ⁠। वासुदेवस्य माहात्म्यं पाण्डवानां च सत्यताम् ⁠।⁠।⁠ १०० ⁠।⁠। दुर्वृत्तं धार्तराष्ट्राणामुक्तवान् भगवानृषिः ⁠। इदं शतसहस्रं तु लोकानां पुण्यकर्मणाम् ⁠।⁠।⁠ १०१ ⁠।⁠। उपाख्यानैः सह ज्ञेयमाद्यं भारतमुत्तमम् ⁠। ( महाभारत, अनुक्रमणिकापर्व, प्रथमोऽध्यायः ) इस महाभारत-ग्रन्थमें व्यासजीने कुरुवंशके विस्तार, गान्धारीकी धर्मशीलता, विदुरकी उत्तम प्रज्ञा और कुन्तीदेवीके धैर्यका भलीभाँति वर्णन किया है। महर्षि भगवान् व्यासने इसमें वसुदेवनन्दन श्रीकृष्णके माहात्म्य, पाण्डवोंकी सत्यपरायणता तथा धृतराष्ट्रपुत्र दुर्योधन आदिके दुर्व्यवहारोंका स्पष्ट उल्लेख किया है। पुण्यकर्मा मानवोंके उपाख्यानोंसहित एक लाख श्लोकोंके इस उत्तम ग्रन्थको आद्यभारत (महाभारत) जानना चाहिये ⁠।⁠।⁠ ९९—१०१ ⁠।⁠। एकं शतसहस्रं तु मानुष

What's the colour of Bhagwan Shiv??? शिव जी किस वर्ण( रंग) के हैं??? #shivji'scolour #शिवजीकारंग

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                 ।।शिव जी का वास्तविक शास्त्रीय स्वरूप।। सत्य: - शिव जी का वर्ण( रंग) श्वेत है। Now let's talk about proves. आईए अब प्रमाणों पर बात करली जाए। अस्तु कर्पूरगौरं दिव्याङ्ग चन्द्रमौलि कपर्दिनम् । व्याघ्रचर्मोत्तरीयं च गजचर्माम्बरं शुभम् ।। ( शिव पुराण, रुद्र संहिता, अध्याय 13 ) जिनकी ध्वजापर वृषभका चिह्न अङ्कित है, अङ्गकान्ति कर्पूरके समान गौर है, जो दिव्यरूपधारी, चन्द्रमारूपी मुकुटसे सुशोभित तथा सिरपर जटाजूट धारण करनेवाले हैं। शङ्खेन्दुकुन्दधवलं वृषभप्रवीर मारुह्य यः क्षितिघरेन्द्रसुतानुयातः। यात्यम्बरे हिमविभूतिविभूषिताङ्ग स्तं शङ्करं शरणदं शरणं व्रजामि ॥ (स्कन्द पुराण, अन्वन्ति खण्ड एवं पद्म पुराण ) जो अपने श्रीविग्रहको हिम और भस्मसे विभूषित करके शङ्ख, चन्द्रमा और कुन्दके समान श्वेत वर्णवाले वृषभ - श्रेष्ठ नन्दीपर सवार होकर गिरिराजकिशोरी उमाके साथ आकाशमें विचरते हैं, उन शरणदाता भगवान् श्रीशङ्करकी मैं शरण लेता हूँ। विलोहिताय धूम्राय व्याधायानपराजिते ⁠। नित्यनीलशिखण्डाय शूलिने दिव्यचक्षुषे ⁠।⁠।⁠  नमो नमस्ते सेव्याय भूतानां प्रभवे सदा ⁠।⁠।⁠ ( महाभारत, द्रोण पर्व, प्रति

"ढोल गवाँर सूद्र पसु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी।।" Know the real meaning of it and solutions for misinterpretations. इस चौपाई का वास्तविक अर्थ जाने एवं गलत अर्थों का निराकरण #"ढोल गवाँर सूद्र पसु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी।।" #realmeaning #सहीअर्थ

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सर्वप्रथम जानते है आक्षेप क्या लगाया जाता है: आक्षेप — तुलसी दास जी ने नारी एवम् शूद्र सज्जनो का अपमान किया ऐसा प्रचलित है। ( किंतु यह मात्र वास्तविक अर्थ न जानने के कारण दुर्दशा है) अब वास्तविक अर्थ से पहले हम कुछ प्रचलित गलत अर्थ बताते है एवं उसका निराकरण करते है। अस्तु गलत अर्थ: — १) तुलसीपीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज एवं उनके मत से साम्यता रखने वाले महानुभावों का मानना है कि यह चौपाई ही अशुद्ध है। तुलसीदास जी ने ऐसा कुछ लिखा ही नहीं। मूल चौपाई में "सूद्र पसु नारी" नहीं है, अपितु "क्षुब्ध पसु रारी' है। यद्यपि कई स्थानों पर स्वामी रामभद्राचार्य जी ने "सूद्र पसु नारी" परक अर्थ भी उपदिष्ट किया है, किन्तु स्त्री को मारने की बात से वे सहमत नहीं हैं। २) दूसरा मत श्रीसर्वेश्वर रघुनाथ भगवान् मन्दिर के श्रीमहन्त आचार्य सियारामदास नैयायिक जी महाराज एवं उनके मत से साम्यता रखने वाले लोगों का है, जिसमें वे कहते हैं कि चौपाई तो सही है, "सूद्र पसु नारी" ही मूलतः शुद्ध है, किन्तु यहां 'नारी' शब्द का अर्थ नर-नारी वाला स्त्रीपरक न होकर 'आ

न तस्य॑ प्रतिमा अ॑स्ति यस्य॒ नाम॑ म॒हद्यश: । Refuting claims against "Idol worship". "मूर्ति पूजा " पर लगे अक्षेपों का अन्त। #murtipuja #murtipujainvedas

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We'll prove in this post that murti puja is accepted in vedas and shastras. हम इस पोस्ट में  प्रमाणित करेंगे कि वेदादि शास्त्रसम्मत है मूर्ति पूजा। "न तस्य॑ प्रतिमा - अ॑स्ति यस्य॒ नाम॑ महद्यश॑ : । हिरण्यगर्भ इत्येष : ॥ "  इस मंत्र के द्वारा कुछ व्यक्ति यह सिद्ध करना चाहते हैं कि ईश्वर की कोई प्रतिमा नहीं है ईश्वर निराकार है वह साकार नहीं हो सकता एवम् मूर्ति पूजा अवैदिक है। किन्तु वे नहीं जानते कि बार-बार एक ही प्रकार से बात घुमाकर कहना अथवा आधी बात बताकर भ्रमित करना, इतना भी सरल नहीं है। इसलिए अब हम इसका समाधान कर रहे हैं: -  अथ समाधान: अस्तु तो यह मंत्र आता है यजुर्वेद ३२.३ (32.3) पुरुष सूक्तम् सर्वप्रथम इस मंत्र के अर्थ पर बात कर लेते हैं , जो वे कह रहे हैं कि उस परमात्मा की कोई प्रतिमा नहीं है। इसका सामान्य रूप से अर्थ यह किया जा रहा है किंतु वास्तविक यह है कि उस परमात्मा की कोई तुलना नहीं है (यहां प्रतिमा शब्द आया है कहां से? प्रतिम् शब्द से जिसका अर्थ है "तुलना"। इसलिए यहां अर्थ तुलनात्मक है एवं इसका प्रयोग तुलना के अर्थ में किया गया हैं)  अब प्रतिमा शब्द प

Is Shri Radha ji mentioned in shastras? Is she creation of jaydev goswami? क्या श्री राधा जी का वर्णन शास्त्रों में आता है? क्या वे जयदेव गोस्वामी की कल्पना थी? #shriradha #radhakrishna

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  सर्वप्रथम हम पुराणों से प्रमाण देंगे तत्पश्चात् वेदों से एवं अन्त कई प्रश्नों का उत्तर , कृपया सारी पोस्ट पढ़े  🌺राधे राधे🌺 या राधा जगदुद्भवस्थितिलयेष्वाराध्यते वा जनैः, शब्दं बोधयतीशवक्त्रविगलत्प्रेमामृतास्वादनम् ।  ( ब्रह्माण्डपुराण, मध्यभाग, अध्याय ४३, श्लोक ०८ ) जगत् की उत्पत्ति, दशा और विनाश के समय जिसे '""राधा""' नाम से पूजा जाता है, वह रसों की स्वामी, रसों की स्वामी और सबका मार्गदर्शन करने वाली राधा सदा मेरी रक्षा करती है। राधा भजति तं कृष्णं स च ताञ्च परस्परम् ।  उभयोः सर्वसाम्यं च सदा सन्तो वदन्ति च ॥  ( ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृतिखण्ड, अध्याय ४८, श्लोक ३८ ) राधा श्री कृष्ण की पूजा करती हैं और कृष्ण श्रीराधा की स्तुति करते हैं। उनके बीच हमेशा सामंजस्य रहता है, ऐसा संतों का वचन है। वृषभानस्य वैश्यस्य कनिष्ठा च कलावती । भविष्यति प्रिया राधा तत्सुता द्वापरान्ततः ।।  ( शिव पुराण 2/3/2/20 ) द्वापर के अंत में सबसे छोटी कन्या कलावती से  राधाजी का प्राकट्य होगा। और इसी का वर्णन ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी है: वृषभानोश्च वैश्यस्य सा च कन्या बभूव ह । अयोनिस

A Tribute to all the " parampara prapt"gurus on this Guru Purnima . सभी पूज्य परंपराप्राप्त गुरुजनों को समर्पित पोस्ट।

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 नमस्कारम् सर्वेभ्यः अद्य गुरुपुर्णिमापर्वणः हार्दिक्यः शुभकामनाः। -सभी को गुरु पूर्णिमा ( व्यास पूर्णिमा) की हार्दिक शुभेच्छा  -wishing good wishes for everone on guru purnima कालेन मीलितधियामवमृश्य नृणां स्तोकायुषां स्वनिगमो बत दूरपारः ।  आविर्हितस्त्वनुयुगं स हि सत्यवत्यां वेदद्रुमं विटपशो विभजिष्यति स्म । ( भागवतम् 2.7.36 ) समयके फेरसे लोगोंकी समझ कम हो जाती है, आयु भी कम होने लगती है। उस समय जब भगवान् देखते हैं कि अब ये लोग मेरे तत्त्वको बतलानेवाली वेदवाणीको समझनेमें असमर्थ होते जा रहे हैं, तब प्रत्येक कल्पमें सत्यवतीके गर्भसे व्यासके रूपमें प्रकट होकर वे वेदरूपी वृक्षका विभिन्न शाखाओंके रूपमें विभाजन कर देते हैं। व्यासाय विष्णुरूपाय व्यासरूपाय विष्णवे। नमो वै ब्रह्मनिधये वासिष्ठाय नमो नमः ।। ( विष्णुसहस्त्रनामस्तोत्रम् ) भगवान् विष्णु के साक्षात् अवतार श्री कृष्णद्वैपायन व्यास जी  🌸जिन्होंने मानव कल्याण के लिए वेद को चार भागो में विभक्त किया, 🌸जिन्होने 18 पुराण, 18 उपपुराण और 18 औपपुराणों की रचना की, 🌸जिन्होने "शतसाहस्री" (1 लाख से अधिक श्लोकों वाली) महाभारत की रचना

Is the word "Hindu" given by foreigners? Is the word "Hindu" mentioned in scriptures? क्या "हिन्दू" शब्द विदेशियों की देन है????? क्या "हिन्दू" शब्द सनातन ग्रंथों में आता है और कहां पर?????

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हिन्दू शब्द की प्राचीनता तथा शास्त्रसम्मतता प्रश्न उठता है कि आर्य, वैदिक और सनातनी शब्द शास्त्रसम्मत और परम्पराप्राप्त होनेपर भी क्या हिन्दू या हिन्दू शब्द भी शास्त्रसम्मत और परम्पराप्राप्त है? अधिकांश बुद्धिजीवियोंकी धारणा तो यही है कि हिन्दू नाम मुगलों या पारसीयों की देन है, जो कि चोर आदि हीनताका वाचक है। किन्तु वास्तविकता यह है की सैकड़ों वर्ष पूर्व से ही हिन्दू और हिन्दू शब्दका प्रयोग सौम्य, सुन्दर, सुशोभित, शीलनिधि, दमशील और दुष्टदलन में दक्ष अर्थोंमें प्रयुक्त और प्रचलित था। सिकन्दरने भारतमें आकर अपने मन्त्रीसे हिन्दूकुश (हिन्दूकूट) पर्वतके दर्शनकी इच्छा व्यक्त की थी। पारसियोंके धर्मग्रन्थ शातीरमें हिन्दूशब्दका उल्लेख है। अवेस्तामें हजारों वैदिक शब्द पाये जाते हैं। सिकन्दरसे भी सैकड़ों वर्ष पूर्वका यह ग्रन्थ है। उसमें हिन्दू शब्दका प्रयोग है। बलख नगरका नाम पूर्वकालमें हिन्दवार था। सर्वप्रथम पुराणादि से प्रारंभ करते है तत्पश्चात् वेदों से भी प्रमाण दिया जायेगा इसलिए अन्त तक अवश्य पढ़िएगा। अस्तु कालिकापुराण और शार्ङ्गधरपद्धतिके अनुसार वेदमार्गका अनुसरण करनेवाले हिन्दु मान्य हैं -