How many shlokas are there in Mahabharat in total?Has Mahabharata been adulterated? महाभारत में कुल कितने श्लोक हैं?क्या महाभारत में मिलावट की गई है? #mahabharatshloks #महाभारतश्लोकाः
पहले हम प्रमाण सहित सिद्ध करेंगे की कुल कितने श्लोक हैं,
तत्पश्चात् आक्षेपाें का निराकरण करेंगे।
उत्तर:- महाभारत में कुल 1,00,000+ (एक लाख से अधिक श्लोक हैं)
अब प्रमाणों पर चर्चा की जाए।
विस्तरं कुरुवंशस्य गान्धार्या धर्मशीलताम् ।। ९९ ।।
क्षत्तुः प्रज्ञां धृतिं कृन्त्याः सम्यग् द्वैपायनोऽब्रवीत् ।
वासुदेवस्य माहात्म्यं पाण्डवानां च सत्यताम् ।। १०० ।।
दुर्वृत्तं धार्तराष्ट्राणामुक्तवान् भगवानृषिः ।
इदं शतसहस्रं तु लोकानां पुण्यकर्मणाम् ।। १०१ ।।
उपाख्यानैः सह ज्ञेयमाद्यं भारतमुत्तमम् ।
(महाभारत, अनुक्रमणिकापर्व, प्रथमोऽध्यायः)
इस महाभारत-ग्रन्थमें व्यासजीने कुरुवंशके विस्तार, गान्धारीकी धर्मशीलता, विदुरकी उत्तम प्रज्ञा और कुन्तीदेवीके धैर्यका भलीभाँति वर्णन किया है। महर्षि भगवान् व्यासने इसमें वसुदेवनन्दन श्रीकृष्णके माहात्म्य, पाण्डवोंकी सत्यपरायणता तथा धृतराष्ट्रपुत्र दुर्योधन आदिके दुर्व्यवहारोंका स्पष्ट उल्लेख किया है। पुण्यकर्मा मानवोंके उपाख्यानोंसहित एक लाख श्लोकोंके इस उत्तम ग्रन्थको आद्यभारत (महाभारत) जानना चाहिये ।। ९९—१०१ ।।
एकं शतसहस्रं तु मानुषेषु प्रतिष्ठितम् ।
नारदोऽश्रावयद् देवानसितो देवलः पितॄन् ॥ १०७॥
(अनुक्रमणिकापर्व, महाभारत)
इस मनुष्यलोक में एक लाख श्लोकोंका आद्यभारत( महाभारत ) प्रतिष्ठित है। देवर्षि नारदने देवताओंको और असित देवलने पितरों को इसका श्रवण कराया है ॥ १०७ ॥
गन्धर्वयक्षरक्षांसि श्रावयामास वै शुकः ।
अस्मिंस्तु मानुषे लोके वैशम्पायन उक्तवान् ॥ १०८ ॥
शिष्यो व्यासस्य धर्मात्मा सर्ववेदविदां वरः ।
एकं शतसहस्रं तु मयोक्तं वै निबोधत ॥ १०९ ॥
शुकदेवजीने गन्धर्व, यक्ष तथा राक्षसों को महाभारतकी कथा सुनायी है; परंतु इस मनुष्यलोकमें सम्पूर्ण वेदवेत्ताओंके शिरोमणि व्यास - शिष्य धर्मात्मा वैशम्पायनजीने इसका प्रवचन किया है। मुनिवरो ! वही एक लाख श्लोकोंका महाभारत आपलोग मुझसे श्रवण कीजिये ।। १०८-१०९ ।।
अन्य ग्रंथों में भी वर्णन:—
लक्षेणैकेन तत्प्रोक्तं द्वापरान्ते महात्मना।
(स्कन्द पुराण,प्रभास खण्ड/1/2/95)
यह द्वापर के अंत में एक लाख श्लोकों के माध्यम से महात्मा वेद व्यास जी द्वारा प्रतिपादित किया गया था।
अब आचार्य वाक्य:—
👉महाराज युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ से ही माध कवि ने अपना शिशुपालवध काव्य लिखा है ।
संवत् ९७७ के इस ग्रन्थ के टीकाकार वल्लभदेव महाभारत ग्रन्थ को सवा लाख श्लोकों का मानते हैं । वे शिशुपालवध के २०३८ की टीका में लिखते हैं 'संपादलक्षं श्री महाभारतम् ।' सवा लाख श्लोकों वाला महाभारत वाविला प्रेस मद्रास - १ से भी छप चुका है ।
(काल मीमांसा, पूज्य धर्म सम्राट् स्वामी करपात्री जी महाभाग)
👉वल्लभदेव जी ने भी अपने "शिशुपाल वध काव्य" में महाभारत में 1 लाख से अधिक श्लोकों के प्रमाण को उद्धृत किया हैं।
👉संवत् ९५७ के राजशेखर भी अपनी काव्यमीमांसा ( अ० ३ ) महाभारत को शतसाहस्री संहिता कहते हैं ।
अब ऐतिहासिक प्रमाण :—
🌺 ईरानी इतिहासकार लेखक अलबेरूनी के अनुसार महाभारत १८ पर्वो लाख श्लोक वाला ग्रन्थ है।
Now let's refute the allegations
अब आक्षेपों का निराकरण करते हैं।
अस्तु
आक्षेप:— महाभारत को पहले वेद व्यास द्वारा 8,800 श्लोकों में लिखा गया था, फिर वैश्यपयन द्वारा 24,000 श्लोकों में विस्तारित किया गया, फिर सौती द्वारा 1,00,000 श्लोकों तक विस्तारित किया गया। इसलिए यह अत्यधिक मिलावटी ग्रंथ है।
निराकरण:—
यह पूरी तरह से निर्मूल एवं असत्य है।
☀️महाभारत में ही वैश्यंपायन जनमेजय से कहते हैं कि वेदव्यास ने 1 लाख श्लोकों में पाठ की रचना की।
इदं शतसहस्रं हि श्लोकानां पुण्यकर्मणाम् |
सत्यवत्यात्मजेनेह व्याख्यातममितौजसा।।
(महाभारत 1.56.13)
इसमें 1,00,000 पवित्र श्लोक हैं, जिनकी रचना अनंत शक्तियों से सम्पन्न सत्यवती के पुत्र व्यास द्वारा की गई थी।
वे शतसाहस्री शब्द का प्रयोग करते हैं जिसका अर्थ है :—
शत (100) और साहस्री(1000) अर्थात् वेदव्यास जी द्वारा रचित सौ +हजार (1 लाख) श्लोक।
जिससे दोनों बातें सिद्ध होती है कि महाभारत की रचना व्यास जी ने की थी एवं 1 लाख श्लोकों में ही की थी।
एवं स्कन्द पुराण में भी यह वचन आता है।
अष्टादशपुराणानि कृत्वा सत्यवतीसुतः । भारताख्यानमकरोद्वेदार्थैरुपबृंहितम् ॥
(स्कन्द पुराण, प्रभास खण्ड,/1/2/94)
अठारह पुराणों की रचना के बाद सत्यवती (व्यास) के पुत्र ने भारत का आख्यान (महाकाव्य) लिखा और इसे वेदों के विषयों के माध्यम से दृढ़ किया।
☀️महाभारत तो वैसे भी पञ्चम वेद है☀️
इस विषय पर हमारी सविस्तार आगामी पोस्ट आयेगी।
👉👉एक भ्रान्ति और भी है की इसे घर में नही रखना चाहिए जो वास्तविकता में निर्मूल है ऐसा कोई शास्त्रीय प्रमाण नहीं है।
🌸इस प्रकार हमने यह सिद्ध की महाभारत में मूलतः ही 1 लाख से अधिक श्लोक थे एवं यह अति पवित्र ग्रंथ महाफल दायक एवं कल्याण का स्रोत है।🌸
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