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Showing posts from August, 2022

"सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः।।" Know the real meaning of this shlok. इस श्लोक का वास्तविक अर्थ जानें। #geeta. #shankarbhashya. #18.66

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              सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।          अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः।।                     🌺(श्रीमद्भगवद्गीता 18.66)🌺 ☀️मुमुक्षु जन( मोक्ष की इच्छा रखने वाले व्यक्ति) निश्चित रूप से इस सम्पूर्ण पोस्ट को पढ़ें।☀️ अस्तु   सर्वधर्मान् सर्वे च ते धर्माः च सर्वधर्माः तान्। धर्मशब्देन अत्र अधर्मः अपि गृह्यते नैष्कर्म्यस्य विवक्षितत्वात् 'नाविरतो दुश्चरितात्' (क० उ० १।२।२४) 'त्यज धर्ममधर्मं च' (महा० शान्ति० ३२९। ४० ) इत्यादिश्रुतिस्मृतिभ्यः । ----समस्त धर्मोको, अर्थात् जितने भी धर्म हैं उन सबको, यहाँ नैष्कर्म्य (कर्माभाव ) का प्रतिपादन करना है इसलिये 'धर्म' शब्दसे अधर्मका भी ग्रहण किया जाता है। 'जो बुरे चरित्रोंसे विरक्त नहीं हुआ धर्म और अधर्म दोनोंको छोड़ इत्यादि श्रुति स्मृतियोंसे भी यही सिद्ध होता है। सर्वधर्मान् परित्यज्य सन्न्यस्य सर्वकर्माणि इति एतत् । माम् एकं सर्वात्मानं समं सर्वभूतस्थम् ईश्वरम् अच्युतं गर्भजन्मजरामरणविवर्जितम् अहम् एव इति एवम् एकं शरणं व्रज न मत्तः अन्यद् अस्ति इति अवधारय इत्यर्थः। सब धर्मोंको छोड़कर

शिव जी के बारे में प्रचलित अनेकानेक आक्षेपों का अन्त। End of allegations about Shiva ji. #shiv #शिव #हर हर महादेव

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आक्षेप: शिव जी के माता पिता कौन है? उत्तर: नो ते गोत्रं नेश जन्मापि नाख्या नो वा रूपं नैव शीलं न देशः। इत्थम्भूतोऽपीश्वरस्त्वं त्रिलोक्याः सर्वान् कामान् पूरयेस्तद् भजे त्वाम्।। (शिव पुराण,शतरुद्रसंहिता, १३।४८) ईश ! न तो की शरण आपका कोई गोत्र है, न जन्म है, न नाम है न रूप है, न शील है और न देश है; ऐसा होनेपर भी आप त्रिलोकीके अधीश्वर तथा सम्पूर्ण कामनाओंको पूर्ण करनेवाले हैं, इसलिये मैं आपका भजन करता हूँ । आक्षेप: शिव जी अत्यंत क्रोधी है क्या? क्या वे श्री भगवान बार बार सबको भस्म करदेते हैं? उत्तर: शान्तं शिवमद्वैतं चतुर्थं मन्यन्ते स आत्मा स विज्ञेयः ॥ (माण्डुक्योपनिषद , मन्त्र 7) शिव जी तो शान्तस्वरूप है परम मंगलमय तत्पुरुष हैं। एकं ब्रह्मैवाद्वितीयं समस्तं सत्यं सत्यं नेह नानास्ति किंचित्।  एको रुद्रो न द्वितीयोऽवतस्थे तस्मादेकं त्वां प्रपद्ये महेशम् ॥  कर्ता हर्ता त्वं हि सर्वस्य शम्भो नानारूपेष्वेकरूपोऽप्यरूपः यद्वत्प्रत्यग्धर्म एकोऽप्यनेकस्तस्मान्नान्यं त्वां विनेशं प्रपद्ये ॥ (शिव पुराण, शतरुद्रसंहिता, १३।४२-४३) भगवन् ! आप ही एकमात्र अद्वितीय ब्रह्म हैं, यह सारा जगत् आपका ही स्वर

रक्षाबंधन की कथा। रक्षाबंधन कब और कैसे मनाना चाहिए? किस दिन मनाए रक्षाबंधन??? • Story of Rakshabandhan. When and how should Rakshabandhan be celebrated? On which day is Rakshabandhan coming??? #rakshabandhan #rakshabandhan2022 #dateandtime

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  "रक्षाबंधन विशेष" इस पोस्ट के माध्यम से जानिए  👉रक्षाबंधन की कथा। 👉रक्षाबंधन कब और कैसे मनाना चाहिए? 👉किस दिन मनाए रक्षाबंधन? *रक्षाबंधन की कथा* भविष्यपुराण में वर्णित है कि राजा युधिष्टिर कहते हैं कि हे श्रीकृष्णचन्द्र ! सब पाप और अमङ्गल का नाश करनेहारा रक्षाविधान आप वर्णन करें।  श्रीकृष्ण भगवान् बोले हे महाराज ! पूर्वकाल में बारह वर्षपर्यंत देवता और दैत्यों का युद्ध हुआ उसमें देवता पराजित हुये। इस संसार में अव्यवस्था हो गई इससे इन्द्र और भी निर्बल हुये तब इन्द्र बृहस्पति के समीप गये और उनसे यह कहा कि हे देवगुरो ! अब हम स्वर्ग में ठहर नहीं सकते इसलिये यही विचार है कि फिर दैत्यों के साथ युद्ध करें जय पराजय तो ईश्वर के व्याधीन है परन्तु उत्साहपूर्वक युद्ध करना अपने अधीन है।   इन्द्र का वचन सुन बृहस्पति बोले कि हे देवराज ! यह पौरुष का समय नहीं है देशकाल का विचार किये बिन जो काम किये जाते हैं वे सफल नहीं होते और उनमें एक प्रकार का अनर्थ उत्पन्न होजाता है।   इस प्रकार इन्द्र और बृहस्पति का संवाद देख शचीने इन्द्रसे कहा कि आज चतुर्दशी है इसलिये आप युद्धसे निवृत्त रहें कल में

What's the meaning of "Arya"? आर्य शब्द का क्या अर्थ होता है? Who can be called an arya? आर्य किसे कहा जा सकता है? What must be the qualities gained to called a arya? आर्य कहलाने के गुण? #arya #aryameaning "aryaqualities #aryavart

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1.) आर्य शब्द का अर्थ क्या होता है? आर्य का अर्थ श्रेष्ठ पुरुष से है।   अब सविस्तार एवं शास्त्रोक्त प्रमाणों सहित जानते हैं:— अस्तु शब्दकल्पद्रुमे -  आर्य्यः। त्रि, (अर्त्तुं प्रकृतमाचरितुं योग्यः । अर्य्यते वा ॥ ऋ + ण्यत् ।) सत्कुलोद्भवः । इत्यमरः । पूज्यः । श्रेष्ठः । अमरकोशे   - महाकुलकुलीनार्यसभ्यसज्जनसाधवः। ( 2.7.3 ) जो आकृति-प्रकृति, सभ्यता- शिष्टता, धर्म-कर्म, ज्ञान-विज्ञान, आचार विचार तथा शीलस्वभाव में सर्वश्रेष्ठ हो उसे "आर्य" कहते हैं। 2.)आर्य शब्द किसके लिए प्रयुक्त होता सकता है? किसे आर्य कहा जा सकता है? अनार्यमार्यकर्माणमार्यं चानार्यकर्मिणम्।  सम्प्रधार्याब्रवीद् धाता न समौ नासमाविति॥  इस मनुवचन (१०.७३) पर लिखित भाष्यों में भी स्वीकृत है की आर्य का अर्थ द्विज होता है । आर्य शब्द का प्रयोग तो मुख्यतः वैश्य के लिए भी नहीं होता है।  अर्यः स्वामिवैश्ययोः   ( पा.सू. ३।१।१०३ ) यह व्याकरण सूत्र है।  जब अर्थ 'स्वामी' या 'वैश्य' होता है तब 'आर्य' का प्रयोग न होकर 'अर्य' का प्रयोग होता है। आर्य शब्द ब्राह्मण और क्षत्रिय के लिए रूढ़ है। हा

Did Mata Shabari feed ort (jhuthe) fruits to Prabhu Shri Ram??? क्या माता शबरी ने प्रभु श्री राम को उच्छिष्ट बेर खिलाए थे??? Was mata Shabri Shudra??? क्या माता शबरी शुद्रा थीं??? #shabri #ramayan

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  प्रथम प्रश्न क्या माता शबरी ने प्रभु श्री राम को उच्छिष्ट बेर खिलाए थे??? अब उत्तर  अस्तु "अद्य मे सफलं तप्तं स्वर्गश्चैव भविष्यति ।  त्वयि देववरे राम पूजिते पुरुषर्षभ ॥"  ( वाल्मिकी रामायण ३।७४।१२ ) यहाँ शबरी ने राम को देववर देवश्रेष्ठ विष्णु कहा है।  राम, मैं आपके सौम्य चक्षुओं से पूत होकर आपकी कृपा से अक्षय लोकों को जाऊँगी। "तवाहं चक्षुषा सौम्य पूता सौम्येन मानदग। मिष्याम्यशयां लोकांस्त्वत्प्रसादादरिन्दम । "  ( वाल्मिकी रामायण ३।७४।१३ ) इससे भी श्री राम की ईश्वरता स्पष्ट होती है। इतना ही नहीं किन्तु अध्यात्मरामायण, रामचरितमानस आदि की कथाओं का मूल भी स्पष्ट है। वह कहती है कि धर्मज्ञ महाभाग महर्षियों ने जिनकी में परिचर्या करती थी, मुझसे कहा था कि तुम्हारे आश्रम में राम और लक्ष्मण आयेंगे।  तुम उनका सत्कार करके दिव्य लोकों को प्राप्त करोगी। सो मैंने पम्पातीर समुद्भूत विविध वन्य पदार्थ आपके लिये सचित कर रखे हैं (वा० रा० ३।७४।१६-१८ )  👉इससे यह सूचित होता है कि अपने गुरु की आज्ञा के अनुसार राम के आतिथ्य के लिए पुष्य फल, मूल आदि का संग्रह करती कई दिनों से वह प्रतीक्षा