शिव जी के बारे में प्रचलित अनेकानेक आक्षेपों का अन्त। End of allegations about Shiva ji. #shiv #शिव #हर हर महादेव



आक्षेप:
शिव जी के माता पिता कौन है?

उत्तर:

नो ते गोत्रं नेश जन्मापि नाख्या नो वा रूपं नैव शीलं न देशः।
इत्थम्भूतोऽपीश्वरस्त्वं त्रिलोक्याः सर्वान् कामान् पूरयेस्तद् भजे त्वाम्।।
(शिव पुराण,शतरुद्रसंहिता, १३।४८)

ईश ! न तो की शरण आपका कोई गोत्र है, न जन्म है, न नाम है न रूप है, न शील है और न देश है; ऐसा होनेपर भी आप त्रिलोकीके अधीश्वर तथा सम्पूर्ण कामनाओंको पूर्ण करनेवाले हैं, इसलिये मैं आपका भजन करता हूँ ।



आक्षेप:
शिव जी अत्यंत क्रोधी है क्या? क्या वे श्री भगवान बार बार सबको भस्म करदेते हैं?


उत्तर:

शान्तं शिवमद्वैतं चतुर्थं मन्यन्ते स आत्मा स विज्ञेयः ॥
(माण्डुक्योपनिषद , मन्त्र 7)

शिव जी तो शान्तस्वरूप है परम मंगलमय तत्पुरुष हैं।


एकं ब्रह्मैवाद्वितीयं समस्तं सत्यं सत्यं नेह नानास्ति किंचित्। 
एको रुद्रो न द्वितीयोऽवतस्थे तस्मादेकं त्वां प्रपद्ये महेशम् ॥ 
कर्ता हर्ता त्वं हि सर्वस्य शम्भो नानारूपेष्वेकरूपोऽप्यरूपः यद्वत्प्रत्यग्धर्म एकोऽप्यनेकस्तस्मान्नान्यं त्वां विनेशं प्रपद्ये ॥

(शिव पुराण, शतरुद्रसंहिता, १३।४२-४३)

भगवन् ! आप ही एकमात्र अद्वितीय ब्रह्म हैं, यह सारा जगत् आपका ही स्वरूप है, यहाँ अनेक भी कुछ नहीं है। यह बिलकुल सत्य है कि एकमात्र रुद्रके अतिरिक्त दूसरे किसीकी सत्ता नहीं है, इसलिये मैं आप महेशकी शरण ग्रहण करता हूँ।
शम्भो ! आप ही सबके कर्ता हर्ता हैं, तथा जैसे आत्मधर्म एक होते हुए भी अनेक रूपसे दीखता है, उसी प्रकार आप भी एकरूप होकर नाना रूपोंमें व्याप्त है फिर भी आप रूपरहित हैं। इसलिये आप आपकी शरण ईश्वरके अतिरिक्त मैं किसी दूसरेकी शरण आपका कोई नहीं ले सकता।




आक्षेप:
शिव जी किसका ध्यान करते हैं?



उत्तर:

शिव जी स्वयं के ही आत्म स्वरूप का ध्यान करते हैं जो सबकी आत्मा सदा शिव स्वरूप है

सत्या प्राप स कैलासं कथयन् विविधाः कथा ।
वरे स्थित्वा निजं रूपं दधौ योगी समाधिभृत् ॥ 

(शिव पुराण, रुद्र संहिता, सती खंड, अध्याय 25, श्लोक 60)

इस प्रकार, रास्ते में उन्हें कथा सुनाते हुए वे उनके साथ कैलाश पहुंचे। वहाँ शिव जी एक समाधि में प्रवेश कर गए और अपने वास्तविक रूप का ध्यान किया।


आत्मा त्वं गिरिजा मतिः
(श्रीमज्जगद्गुरु आद्य शंकराचार्य विरचित श्री शिव मानस पूजा, श्लोक 4)

वे शिव जी ही सबके आत्मीय एवं आत्मास्वरूप है।



आक्षेप:
शिव जी भस्मासुर से डर कर भाग गए थे?



उत्तर:

मा नो॑ म॒हान्त॑मु॒त॒ मा नो॑........प्रिया मा न॑स्त॒नुवो॑ रु॒द्र रीरिष : ।।7।।
मा न॑स्तोके तन॑ये॒ मा न ....... रुद्र भामितो व॑धीर्हविष्म॑न्तो नम॑सा॒ विधेम ते ।।8।।

(ऋग्वेद 1.114.8 )

वेद भी जिनकी स्तुति करते हैं,
प्रार्थना करते हैं की हमारी रक्षा करो उन्हे भय किस प्रकार का?


मत्तोऽधिकः समो नास्ति मां यो वेद स मुच्यते ॥
(शिव पुराण | वायवीय संहिता। उत्तर खण्ड 8।17)

शिव जी कहते है न मुझसे कोई अधिक है न हि मेरे समान इस सम्पूर्ण संसार मे जो इस परम ज्ञान को जानता है वह मुक्त है।



आक्षेप:
शिव जी मोहिनी (विष्णु अवतार) पर मोहित होगये थे?


उत्तर:
विष्णु जी ने माता भगवती से आग्रह किया था की वे स्वयं का स्त्री तत्त्व दे ताकि वो भगवान शिव से पुत्र उत्पन्न कर एक राक्षस का वध कर सकें(क्योंकि उस राक्षस ने विष्णु और शिव जी के पुत्र से स्वयं के वध का वरदान मांगा था)

(ब्रह्माण्ड पुराण, ललितोपाख्यान पर्व, अध्यय 10, Slok 1-10)



आक्षेप:
शिव जी किसी को कुछ भी वरदान दे देते हैं?


उत्तर:
शिव जी को वैद्यनाथ भी कहते है ।
अर्थात् वैद्यो के नाथ या ईश्वर।

शिव जी का हाथ सोवरन औषधियों से भरा है
(ऋग्वेद 1.114.5)

इसलिए यह स्वाभाविक है कि परमेश्वर को सभी प्रकार की बीमारियों का इलाज करने के लिए कहा जाएगा।

रुद्र ने सूर्य को भी स्वस्थ किया था, जब उसने अपना तेज खो दिया था।

तस्य पूर्णवतारो हिं रुद्रस्साक्षाच्छिवः स्मृतः ।
कैलासे भवनं रम्यं पंचवक्त्रश्चकार ह ।
ब्रह्मांडस्य तथा नाशे तस्य नाशोस्ति वै न हि ॥ 

(शिव पुराण, रुद्र संहिता,  सृष्टि खण्ड, अध्याय 16 श्लोक 50)

उनका पूर्ण अवतार रुद्र है। वह स्वयं शिव हैं। पांच मुखी भगवान ने कैलास में अपनी सुंदर हवेली बनाई है। भले ही पूरे ब्रह्माण्ड को नष्ट कर दिया गया हो, किन्तु उनका विनाश कोई नहीं जानता है।
वे सदा समान रहते है अजन्मे परमात्मा।


यो देवानां प्रभवोद्भवश्च .......स नो चुद्धया शुभया संयुनक्तु ।।

(श्वेताश्वतोपनिषद 4.12)


जो देवों का उत्पन्न करने वाला, और रक्षा करने लाल है, रुद्र, महपिं (बड़ा देखने वाला) सब का मालिक है जिस ने प्रकट होते हुए हिरण्यगर्भ को देखा, वह हमें शुभ चुद्धि से युक्त करे।।


सूक्ष्मातिसूक्ष्मं कलिलस्य ..... शिवं शान्तिमत्यन्तमोति ॥

(श्वेताश्वतोपनिषद 4.14)

"जो क्षूक्ष्म से अतिसूक्ष्म, कलिल (गहनगभीर संसार). के मध्य में, विश्व का बनाने वाला, अनेक रूपों वाला, अकेला सारे विश्व को घेरने वाला है, उस शिव को जान कर अत्यन्त 'शान्ति को प्राप्त होता है ॥


(यजुर्वेद 3.1.4 )

कौन से पशुओं पर पशुपति शासन करते हैं? वह दो पैरों और चार पैरों वाले दोनों प्रकार के पशुओं पर शासन करते है।


पशुपति का अर्थ है सभी पाशुओं का स्वामी। यहां पाशु का अर्थ है हर जीव, न कि केवल जानवर।


 यह यजुर्वेद में ही स्पष्ट किया गया है। जैसा की ऊपर भी बताया गया है।


अथर्ववेद में भी भगवान शिव को दो पैरों और चार पैरों वाले भगवान के रूप में वर्णित किया गया है।


तेषामसुराणां तिस्त्रः पुर ....... रुद्रोऽवासृजत्स तिस्त्रः पुरो भित्वैभ्यो।
(यजुर्वेद ,तैत्तिरीय संहिता, काण्ड 6, प्रपाठक 2, अनुवाक 3)

असुरों के पास त्रिपुर थे; सबसे नीचे लोहे का था, फिर एक चाँदी का, फिर एक सोने का। देवता उन्हें जीत नहीं सके; उन्होंने घेराबंदी करके उन्हें जीतना चाहा; इसलिए वे कहते हैं - वे दोनों जो इस प्रकार जानते हैं और जो नहीं - 'घेराबंदी करके वे महान गढ़ों को जीत लेते हैं।' उन्होंने एक तीर तैयार किया, अग्नि को बिंदु के रूप में, सोम को गर्तिका के रूप में, विष्णु को तीर के रूप में तैयार किया। उन्होंने कहा, 'इसे कौन मारेगा?' 'रुद्र', उन्होंने कहा, 'रुद्र भयंकर है, उन्हे साधने दो।' उसने कहा, 'मुझे एक वरदान चुनने दो; मुझे पाशुओं का अधिपति होने दो।' इसलिए रुद्र पशुओं का अधिपति है। रुद्र इसे जाने दो; इसने त्रिपुरा को काट दिया और असुरों को इन लोकों से दूर भगा दिया।



आक्षेप:-

क्या शिव जी मांस भक्षण करते है या नशे में रहते है?


उत्तर:

कदापि नही ,

ये बात बिल्कुल अशास्त्रीय है और नरकप्रद है।


1)शिव पुराण श्लोक 1.25.43

शिव भक्तों के लिए मांस वर्जित है।


2)मद्यमांसगतानां च दूरे तिष्ठति शङ्करः

(स्कन्द पुराण)

शराब और मांस खाने वाले व्यक्ति से भगवान शंकर सदैव दूर रहते हैं।


3)मद्यस्य मद्यगन्धस्य नैवेद्यस्य च वर्जनम् ।

सामान्यं सर्ववर्णानां ब्राह्मणानां विशेषतः ॥ 

(शिव पुराण, वायवीय संहिता ,उत्तर भाग, अध्याय 11 श्लोक 8)

यहां भी मदीरा सेवन को वर्जित कहा है यहां तक ​​कि मदिरा की गंध भी आज जाए तो अपनी शुद्धि करें।


4) कुलार्णव तंत्र, अध्याय 5, श्लोक 45।

तो, यह स्पष्ट है कि शिवजी को अपने भक्तों द्वारा अबलि का मांस खाने का विचार पसंद नहीं है।



🌸 इस प्रकार हमने परमात्मा परम ब्रह्म सर्वेश्वर पशुपति नाथ श्री शिवजी के बारे में प्रचलित अनेकानेक आक्षेपों का अंत किया।🌸



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हर हर महादेव















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  1. 🔱હર હર મહાદેવ 🚩

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