रक्षाबंधन की कथा। रक्षाबंधन कब और कैसे मनाना चाहिए? किस दिन मनाए रक्षाबंधन??? • Story of Rakshabandhan. When and how should Rakshabandhan be celebrated? On which day is Rakshabandhan coming??? #rakshabandhan #rakshabandhan2022 #dateandtime
"रक्षाबंधन विशेष"
इस पोस्ट के माध्यम से जानिए
👉रक्षाबंधन की कथा।
👉रक्षाबंधन कब और कैसे मनाना चाहिए?
👉किस दिन मनाए रक्षाबंधन?
*रक्षाबंधन की कथा*
भविष्यपुराण में वर्णित है कि राजा युधिष्टिर कहते हैं कि हे श्रीकृष्णचन्द्र ! सब पाप और अमङ्गल का नाश करनेहारा रक्षाविधान आप वर्णन करें।
श्रीकृष्ण भगवान् बोले हे महाराज ! पूर्वकाल में बारह वर्षपर्यंत देवता और दैत्यों का युद्ध हुआ उसमें देवता पराजित हुये। इस संसार में अव्यवस्था हो गई इससे इन्द्र और भी निर्बल हुये तब इन्द्र बृहस्पति के समीप गये और उनसे यह कहा कि हे देवगुरो ! अब हम स्वर्ग में ठहर नहीं सकते इसलिये यही विचार है कि फिर दैत्यों के साथ युद्ध करें जय पराजय तो ईश्वर के व्याधीन है परन्तु उत्साहपूर्वक युद्ध करना अपने अधीन है।
इन्द्र का वचन सुन बृहस्पति बोले कि हे देवराज ! यह पौरुष का समय नहीं है देशकाल का विचार किये बिन जो काम किये जाते हैं वे सफल नहीं होते और उनमें एक प्रकार का अनर्थ उत्पन्न होजाता है।
इस प्रकार इन्द्र और बृहस्पति का संवाद देख शचीने इन्द्रसे कहा कि आज चतुर्दशी है इसलिये आप युद्धसे निवृत्त रहें कल में आपके रक्षा बांधूंगी जिससे अवश्य आपका जय होगा। शचीने इन्द्र के हाथ में रक्षापोटली बांधी और बड़ा उत्सव किया ब्राह्मणों से स्वस्तिवाचन कराए और युद्ध में दानवों की हार हुई।
इस प्रकार दानवों को पराजय दे फिर इन्द्र ने राज्य पाया और देवताओं सहित त्रैलोक्य का पालन करने लगा दानवराज भी युद्ध में हार के शुक्र के समीप गये और उन से कहा कि हे दैत्यगुरो ! बड़े व्यश्चर्य की बात है। कि इन्द्र ने हम को जीत लिया.
शुक्राचार्य ने कहा कि हे दैत्यराज ! इस में आप विषाद न करें युद्ध में जय पराजय होते ही रहते हैं अब तुम इन्द्र के साथ सन्धि करलो शची की रक्षा के प्रभाव से इस समय इन्द्र को कोई नहीं जीत सकता एक वर्ष व्यतीत करो पीछे सब कल्याण होगा यह शुक्र का वचन सुन शोक त्यागकर सब दानव कालप्रतीक्षा करनेलगे।
इतनी कथा सुन राजा युधिष्ठिर ने पूछा कि हे श्रीकृष्णचन्द्र ! किस तिथि को और किस विधि से रक्षाबन्धन करना चाहिये यह आप वर्णन करें।
*रक्षाबंधन कब और कैसे मनाना चाहिए*
श्रीकृष्ण भगवान् कहने लगे कि हे महाराज ! श्रावणी पूर्णिमा को प्रभात उठ शौच दन्तधावन आदि कर श्रुतिस्मृति विधान से स्नान करे देवता और पितरों का तर्पण कर उपाकर्मविधान से ऋषितर्पण करै शूद्र होय तो मन्त्ररहित स्नान दान आदि कर्म करे पीछे मध्याह्न के अनन्तर कर्पास के अथवा अलसी के वस्त्र में अक्षत श्वेत सर्षप और सुवर्ण की रक्षापोटली बनाय आंगन में गोवर का चौका लगाय उस के बीच मण्डल रचम एडल में पीठ रख पीठ के ऊपर उत्तम पात्र में पोटली स्थापन करे वहां ही मन्त्री पुरोहित आदि सहित राजा बैठे,
हवन और शान्ति कर (येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः । तेन त्वां प्रति बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ) इस मन्त्र से रक्षापोटली को पूरोहित राजा के दक्षिण हाथ में वांधे पीछे राजा वस्त्र भोजन और दक्षिणा से ब्राह्मणों का पूजन करे यह रक्षाबन्धन चारों वर्णों को करना चाहिये इस विधि से जो रक्षाबन्धन करावे व वर्षभर सुखी रहता है और पुत्र पौत्र धन आदि वह सब पदार्थ पाता है |
*किस दिन मनाए रक्षाबंधन *
🌸तिथि - 11 अगस्त
(श्रावण पूर्णिमा)
🌸मुहूर्त ( बान्धने का समय)
मुख्य रूप से रात 9 - 9:30 pm
12 को इसलिए नही हो सकती क्योंकि उस दिन पूर्णिमा मात्र 3 — 4 घटी की है और कम से कम 3 मुहूर्त (6 घटी) होना अनिवार्य है।
☀️इदं तु प्रतिपद्-युक्तियां न कार्यम्।☀️
रक्षाबंधन प्रतिपदायुक्त पूर्णिमा में नही करना चाहिये।
अब 11 को कब करें?
यदा तु उत्तरत्रमुर्तद्द्व्य त्र्यमध्ये किञ्चित् न्यूना
पूर्णमासी तदा अपराण्ये सर्वथा तद्भावात् प्रदोषपश्चिमौयामौ दिनवत् कर्मचाचरेत्।
इति पाराशरात्
पराशर जी यहां निर्णय देते है की ऐसी स्थिति में अपराण्ड काल बीत जाने पर भद्रा की समाप्ति के पश्चात निशीथ काल से पहले करना चाहिए।
इसलिए
भद्रायां द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा।
-भद्रा में श्रावणी( रक्षाबंधन) और होलिकादहन ये दो नही करने चाहिये।
☀️तदानुसार यह मुहूर्त बताया जाता है (रात 9— 9: 30pm) जो शास्त्रोक्त है एवं आचार्य मतों द्वारा समर्थित है।
और यदि किसी को लगे कि रात में कर सकते है क्या??
तो शास्त्र निर्णय देते हैं की
" दिनवत् कर्मचाचरेत् "
अर्थात् रात्रि के प्रथम प्रहर में दिनोक्त कर्म किए जा सकते हैं
इति शम्
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