ग्रहण काल में कर्तव्यायाकर्तव्य. Do's and Don'ts during the time of grahan (eclipse)





ग्रहण के समय करने योग्य कार्यों का निरूपण:—

ग्रहण के समय भगवान का चिंतन, जप, ध्यान करने पर उसका लक्ष (लाख) गुना फल मिलता है , ग्रहण के समय सहस्र काम छोड़ कर मौन और जप करिए।

(सांसारिक वार्तालाप में समय नष्ट न करें भगवान के नामों का संकीर्तन करें।)

ग्रहण के समय अपने घर की चीज़ों में कुश, तुलसी के पत्ते अथवा तिल डाल देने चाहिए।

ग्रहण के समय रुद्राक्ष की माला धारण करने से पाप नाश हो जाते हैं।

ग्रहण के समय गुरु प्रदत्त मंत्र (दीक्षा लिए हुए मंत्र) का जप करने से सिद्धि की प्राप्ति होती है।



ग्रहण के समय न करने कार्यों का निरूपण:—

ग्रहण के समय सोने से रोग बढ़ते हैं।

ग्रहण के समय सम्भोग करने से सूकर ( सुअर) की योनि मिलती है।

ग्रहण के समय मूत्र त्याग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे दरिद्रता आती है।

 ग्रहण के समय छल कपट धोखाधड़ी और ठगाई करने से सर्पयोनि मिलती है।

ग्रहण के समय शौच नहीं जाना चाहिए, अन्यथा उदर में कृमि होने लगते हैं।

ग्रहण के समय जीव-जंतु या किसी की हत्या हो जाय तो नारकीय योनि में जाना पड़ता है।

ग्रहण के समय भोजन व मालिश करने वाले को कुष्ट रोग हो जाता है।

ग्रहण के समय पत्ते, तिनके, लकड़ी, फूल आदि नहीं तोड़ने चाहिए। 

स्कन्द पुराण के अनुसार ग्रहण के समय दूसरे का अन्न खाने से १२ साल का किया हुआ जप, तप, दान नष्ट हो जाता है।


 

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