गर्भपात/भ्रूणहत्या: महापाप: Abortion/Foeticide : Biggest sin
👉 गर्भहत्या: इस महापाप को करने वाले मनुष्य की क्या गति होती है? यत्पापं ब्रह्महत्याया द्विगुणं गर्भपातने । प्रायश्चित्तं न तस्यास्ति तस्यास्त्यागो विधीयते ॥ (पाराशरस्मृति ४।२०) ब्रह्महत्यासे जो पाप लगता है, उससे दुगुना पाप गर्भपात करनेसे लगता है। इस गर्भपातरूपी महापापका कोई प्रायश्चित्त भी नहीं है, इसमें तो उस स्त्रीका त्याग कर देनेका ही विधान है। भ्रूणहा पुरहन्ता च गोघ्नश्च मुनिसत्तमाः । यान्ति ते रौरवं घोर योच्छ्वासनिरोधकः ॥ (ब्रह्मपुराण २२।८) भ्रूणहत्या करनेवाले रोध (श्वासोच्छ्वासको रोकनेवाला), शुनीमुख, रौरव आदि नरकोंमें जाते हैं। भिक्षुहत्यां महत्पापी भ्रूणहत्यां च भारते। कुम्भीपाके वसेत् सोऽपि यावदिन्द्राश्चतुर्दश ॥ गृधो जन्मसहस्राणि शतजन्मानि सूकरः । काकश्च सप्तजन्मानि सर्पश्च सप्तजन्मसु ।। षष्टिवर्षसहस्त्राणि विछ्यां जायते कृमिः । नानाजन्मसु स वृषस्ततः कुष्ठी दरिद्रकः ॥ (देवीभागवत ९ । ३४ । २४, २७-२८) गर्भकी हत्या करनेवाला कुम्भीपाक नरकमें गिरता है फिर गीध,सूअर, कौआ और सर्प होता है फिर विष्ठाका कीड़ा होता है। फिर बैल होनेके बाद कोढ़ी मनुष्य होता है। पूर्वे जनुषि या नारी