क्या पुराणों में बुद्धावतार का वर्णन प्राप्त होने से यह सिद्ध होता है कि, पुराण बुद्धानुयायियों द्वारा रचे गए हैं? Does the description of Buddha avatar prove that the Puranas were composed by the followers of Buddha?
प्रचलित आक्षेप इस प्रकार है:— वर्तमान पुराणों में बुद्ध का वर्णन आता है। बुद्ध जी लगभग ६०० वर्ष विक्रमपूर्व हुए हैं और व्यास जी महाभारतकालीन व्यक्ति हैं। जिसे पांच हजार वर्ष से अधिक समय हो चुका है। अतः व्यासकृत पुराणों में अपने से परवर्ती व्यक्ति का वर्णन नहीं आ सकता, अवश्य ही ये पुराण बुद्ध के बाद के बने हैं यह स्पष्ट है । अब प्रत्युत्तर देने का समय आन पढ़ा है, सो इस प्रकार उत्तर दिया जा रहा है:— अस्तु इस आक्षेप में पुराणों को नवीन सिद्ध करने के लिए व्यास और बुद्ध के समयों का अन्तर कारण रखा गया है । परन्तु वास्तव में यह हेतु कोरा हेत्वाभास है क्योंकि वेद, पुराण आदि ग्रंथ केवल भूतकाल की घटनाओं के प्रतिपादक नहीं हैं । अपितु — भूतं भव्यं भविष्यच्च सर्वं वेदात्प्रसिद्धयति । ( मनुः १२ । ६७ ) अर्थात् भूत, भविष्यत् वर्तमान सब कुछ वेद से सिद्ध है-इस मनूक्ति के अनुसार वेद तीनों काल का वर्णन करने वाले हैं। जिस प्रकार अनादि वेदों में यास्क आदि वेदाचारिर्यों के निर्णयानुसार वशिष्ठ, विश्वामित्र, शुनःशेप आदि उत्तरकालीन व्यक्तियों का उल्लेख सुव्यवस्थित है, इसी प्रकार त्रिकालदर्शी वेदव्यास जी के बनाय