श्री राम जी ने ईश्वर रावण से युद्ध करने के लिए वाराणों की सहायता क्यों ली ????? शिव जी सती जी की मृत देह को उठाकर क्यों विलाप कर रहें थे?????
यही कारण है की बिना गुरु कृपा के एवं कभी शास्त्रों को न देखने के कारण भगवान की अलौकिक लीलाओं को न पहचाना जा सकता है एवं न आनंद ही लिया जा सकता है। अब प्रत्युत्तर:— 1) भगवान के जन्म का उद्देश्य ही सत्मार्ग का प्रदर्शन एवं सत्पुरुषों का कल्याण होता है, साथ ही साथ दुष्टो का दमन (परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्) - श्रीमद्भगवद्गीता मनुष्य धर्म का निरूपन किया गया है। भगवान को तो किसी कर्म को करने की आवश्कता ही नही हैं फिर भी वे करते हैं इसका उत्तर वे श्री गीता जी में देते हैं:— उत्सीदेयुरिमे लोका न कुर्यां कर्म चेदहम्। सङ्करस्य च कर्ता स्यामुपहन्यामिमाः प्रजाः।। हे पार्थ ! अगर मैं किसी समय सावधान होकर कर्तव्य-कर्म न करूँ (तो बड़ी हानि हो जाय; क्योंकि) मनुष्य सब प्रकारसे मेरे ही मार्गका अनुसरण करते हैं। यदि मैं कर्म न करूँ, तो ये सब मनुष्य नष्ट-भ्रष्ट हो जायँ और मैं वर्णसंकरताको करनेवाला तथा इस समस्त प्रजाको नष्ट करनेवाला बनूँ। वैसे भी जिनको लगाता है की स्वप्न में भी भगवान को यदि भय प्राप्त हो सकता है तो लक्ष्मण जी उनके लिए कहते हैं: (भृकुटि बिलास सृष्टि लय होई। सपनेहुँ संकट परइ